मिल गई
तूम जो, मुझे मिल गई
मेरी जिंदगी, संवर गई
अब तू रहना, मेरे पास-पास
अब तू देना, मेरा साथ-साथ
अब ना कोई, अपने आस -पास
अब रहेगा हमेशा, अपना साथ-साथ
अपनी बिगड़ी बात, बन गई
तुम जो, मुझे मिल गई
मेरी जिंदगी, संवर गई
तू जो साथ रहे, आये जिंदगी का मजा
बिन तेरे एक पल, लगे जैसे एक सजा
अब तू ही हे, जीने की एक वजा
तेरे प्यार को, में अब समझा
अब तो तबीयत, मेरी खिल गई
तूम जो, मुझे मिल गई
मेरी जिंदगी, संवर गई
प्रदीप कछावा
7000561914
prkrtm36@gmail.com
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