लता
ओ, मेरी प्यारी लता
अब तू ही, मुझे बता
तू क्यों ना, मुझे मीली
क्यों ना अपनी, खुशियाँ खीली
अगर तुम बन जाती, मेरी वाईफ
तो फिर बन जाती, अपनी लाईफ
क्यों हुवी, अपनी किस्मत खता
ओ, मेरी प्यारी लता
अब तू ही, मुझे बता
अपनी किस्मत मे, क्या रोड़ा आया
मेने तुम्हे क्यों ,नहीं पाया
अपने जीवन मे, क्या अँधेरा छाया
इस गम ने, हमे कितना रुलाया
तू मुझसे, प्यार जरा जता
ओ, मेरी प्यारी लता
अब तू ही, मुझे बता
क्यों नहीं हुवा, अपना ये मेल
जीवन ने अपने संग, क्या खेला ये खेल
जीवन में क्यों हो गए, हम फेल
अब पता नहीं कब होगा, अपना ये मेल
मुझे कोई दे, तेरा पता
ओ, मेरी प्यारी लता
अब तू ही, मुझे बता प्रदीप कछावा
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