सबका अपना हो, एक घर
जिसमे रहे वो, जीवन भर
जिसमे पत्नी प्यारी हो
जो दुनीया से न्यारी हो
जिसमे प्यारे बच्चे हो
जो दिल के सच्चे हो
जहाँ हो उसकी कदर
सबका अपना हो, एक घर
जिसमे रहे वो, जीवन भर
सबका होता एक ठिकाना
वो कहलाता हे अपना घर
पत्नी बनाए जहाँ पर खाना
वो कहलाता हे अपना घर
दुनिया मे कोई ना रहे बेघर
सबका हो अपना एक घर
जिसमे रहे वो जीवन भर
खाना घर के अन्दर हे
बाहार जाओ तो लंगर हे
शुकून घर के अन्दर हे
बाहार जाओ तो छछुंदर हे
घर होता हे एक पूजाघर
सबका अपना हो एक घर
जिसमे रहे वो जीवन भर
सबका घर सपना होता हे
अपना घर अपना होता हे
घर मे सबकुछ अपना होता हे
परिवार के साथ मे रहना होता हे
यही हे सबकी डगर
सबका अपना हो एक घर
जिसमे रहे वो जीवन भर
प्रदीप कछावा
7000561914
prkrtm36@gmail,com
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