वन
सुन्दर प्यारे ,वन हे
उसमे डोले, मन रे
यहाँ कितनी, हरियाली हे
यहाँ कितनी, खुशहाली हे
यहाँ कितने, वन्यप्राणी हे
पक्षियों की, सुन्दर वाणी हे
वन ही, सबसे बडा धन हे
सुन्दर प्यारे, वन हे
उसमे डोले, मन रे
वन मे कितना, अमन हे
ये तो लगता, वृंदावन हे
ऋषियों का ये तो, तपोवन हे
वन तो प्रकृति का, संतुलन हे
वन तो, सभी जीवों का जीवन हे
सुन्दर प्यारे वन हे
उसमे डोले मन रे
कुदरत का ये, सुन्दर आँगन हे
जिव-जन्तुओं का, ये भोजन हे
वन मे कितना, सूनापन हे
वन तो ईश्वर का,भोलापन हे
वन मे, सभी जिव-जन्तुओं का गठन हे
सुन्दर प्यारे, वन हे
उसमे डोले, मन रे
यहाँ बहता पानी, खन-खन हे
यहाँ चलती हवा, सन-सन रे
में गुजारु यहाँ पर, जीवन रे
वन मे ही तो, मेरा मन हे
यहाँ विचरण करते, हिरन रे
सुन्दर प्यारे, वन हे
उसमे डोले, मन रे
प्रदीप कछावा
7000561914
prkrtm36@gmail.com
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