सखी मुझे लगे तेरी, ये मीठी -मीठी बोली
सखी ऐसी क्या है मिश्री, इसमें तेने घोली
सखी मुझे लगे तेरी, ये मीठी-मीठी बोली
सखी ऐसी क्या है मिश्री,इसमें तेने घोली
सखी तेरी ये बोली, मेरे मन को भाये
बैठे-बैठे मर गए, अब तो हम हाये
सखी जिस अंदाज में तू, हसंकर जो बोले
सखी तेरी ये बोली, सुनकर मेरा मन तो डोले
सखी तेरी ये बोली ,शक्क्कर की है गोली
सखी मुझे लगे तेरी, ये मीठी-मीठी बोली
सखी ऐसी क्या है मिश्री , इसमें तेने घोली
सखी करती है तू ,कितनी प्यारी ये बातें
सखी कटती नहीं है , तेरे बीना ये रातें
सखी गुनगुनाता ही रहता हूँ , तेरी मीठी बातें
सखी तेरी मीठी बातों में , हम यू ही खो जाते
सखी बनजा अब तो तू, मेरी हमझोली
सखी मुझे लगे तेरी, ये मीठी-मीठी बोली
सखी ऐसी क्या है मिश्री, इसमें तेने घोली
सखी यू ही मर गए तुझपे , बीना लगे गोली
सखी मेरे प्यार की टोकरी, तूने ही खोली
सखी प्यारी लगे मुझे, सूरत तेरी भोली
सखी मेरे घर ही आएगी , तेरी डोली
सखी बोलना अब तो , मैं तेरी होली
सखी मुझे लगे तेरी, ये मीठी-मीठी बोली
सखी मुझे लगे तेरी, ये मीठी-मीठी बोली
प्रदीप कछावा
7000561914
prkrtm36@gmail.com
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