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यार गद्दार

 पैसे के कारण, यार बन गया गद्दार 

क्यों कर दिया, पीठ पीछे से वार 

हम  तो दोस्त समझ कर ही, बैंठे थे तुम्हें

पर तुम तो निकल गए, इतने बैकार

प्रदीप कछावा 

7000561914

prkrtm36@gmail.


Because of money, friend became a traitor

Why did you hit me from behind?

We were sitting only considering you as friends

But you have left, so desperate

Pradeep Kachhawa

7000561914


prkrtm36@gmail.




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कछावा परिवार  सुन्दर प्यारा, कछावा परिवार हमारा  सबसे न्यारा,  कछावा परिवार हमारा       एक-दूसरे से लड़ते हे, हम सब   दिल से प्यार करते हे, हम सब   कछावा परिवार नहीं, कभी किसी से हारा  ये हे जीनगर समाज की ,आँखों का तारा  यहाँ दारू के साथ-साथ, बहतीं हे प्रेम की धारा  सुन्दर प्यारा, कछावा परिवार हमारा   सबसे न्यारा,  कछावा परिवार हमारा    कछावा परिवार में हे, एक से एक धुरंधर  हो जाती चहल-पहल, ये जाते हे उस घर  सात भाईयों का हे, ये परिवार  दिल से जुड़ा हे, एक दूसरे का तार  कछावा परिवार से, हर कोई हारा  सुन्दर प्यारा, कछावा परिवार हमारा  सबसे न्यारा,  कछावा परिवार हमारा  दो बहनें और सात हे भाई  पार्वती देवी हे, इनकी माई  कछावा  परिवार में हे, बहुत सारे बच्चे  सभी प्यारे-प्यारे और दिल के हे सच्चे  कछावा  परिवार का, एक ही नारा  सुन्दर प्यारा,  कछावा   परिवार हमारा  बहुत दिनों बाद कही,  कछावा   परिवार मिलता हे  फिर वहा तो, पूरा मोहल्ला हिलता हे  इसमें हे, एक से बढ़कर एक हीरो  ये बना देते हे, अच्छे -अच्छे को जीरो

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