गमे जिन्दगी
गमे जिन्दगी है और सुनसान है सफर
यू ही किसी के, ख्यालों मे खोया हू मे
वो मिले ना मिले, फिर भी इसी तमन्ना मे
यू ही कहीं दिनों से, नहीं सोया हू मे
वक्त कहा पर ले जाएगा मुझे पता नहीं
यू ही घुट-घूट के, बहुत रोया हूं मे
अब रही ना दिल मे, कोई ख्वाइश फिर भी
यू ही मिलने का बीज दिल में बोया हू मे
क्या खोया क्या पाया ,इसका मुझे हिसाब नहीं
यू ही दिल मे किसी के जख्मों को दबोया हू मे
प्रदीप कछावा
7000561914
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